बचपन आसपास
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●जाएँ मेले
-डॉ. बलदाऊ राम साहू
चलो घूमने जाएँ मेले
पर ना जाएँ कभी अकेले।
साथ बड़े हों अपने भाई
अपनी इसी में है भलाई।
खेल तमाशे होते हैं सुंदर
नाच दिखाते भालू बंदर।
कोई करतब खूब दिखाता
खुद भी हँसता और हँसाता।
लगे हुए हैं ये गुब्बारे
रंग – बिरंगे प्यारे – प्यारे।
सेब, संतरा, ले लो केले
मिठाइयों से सजे हैं ठेले।
गरमा-गरम खाओ समोसे
मिल जाएँगे इडली दोसे।
मन चाहे जो भी तुम खाओ
झूला झूलो खुशी मनाओ।
खेल -खिलौने लेकर जाओ
मित्रों को सब हाल सुनाओ।
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