ग़ज़ल
4 years ago
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कितनी चल ये चाल गया
मुश्किल से ये साल गया
●शुचि ‘भवि’
कितनी चल ये चाल गया
मुश्किल से ये साल गया
साल नया अच्छा होगा
कुछ उम्मीदें पाल गया
टूटे सपनों को क्या फिर
आँखों में ये डाल गया
पूछे जनता जो कुछ भी
वो सब बातें टाल गया
मैल भरा जिनके दिल में
करके ख़स्ता हाल गया
‘भवि’ तो न थी हरग़िज़ ऐसी
वो किस रंग में ढाल गया