बचपन आसपास
4 years ago
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●कबूतर आया
●डॉ. बलदाऊ राम साहू
उड़ते हुए कबूतर आओ
मेरी छत के ऊपर आओ।
पंछी भी आएँगे उड़ते
तुम भी साहस भरकर आओ।
इधर – उधर मत घूमो- फिरो
आओ अपने घर पर आओ।
छत पर दाने रखे हुए हैं
छककर खाने छत पर आओ।
छोड़ो तुम अब भागा-भागी
एक बार तुम फिरकर आओ।
●कवि संपर्क-
●94076 50458
chhattisgarhaaspaas
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