ग़ज़ल
4 years ago
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●गरीब अंदर ही अंदर आज़ बहुत तैश में है
●क्योंकि उनके पीठ पर बैठे लोग ऐश में है
-गोविंद पाल
गरीब अंदर ही अंदर आज बहुत तैश में है
क्योंकि उनके पीठ पर बैठे लोग ऐश में है।
चंद नोटों के टुकड़े वह जमा क्या कर लिए,
उनकी तुगल की फरमान अब पुरे देश में है।
निति निर्धारण का काम जब से देखने लगा,
उनके दूषित सोच का परिणाम परिवेश में है।
जितने उंचे-उंचे पायदानो पर वह चढ़ते गये,
आम जनता उतने ही दुःख और क्लेश में है।
न्याय कानून संविधान सिद्धांत की सारी बातें,
पुरा का पुरा व्यापार राजनीति के निवेश में है।
कौन है यहां सुनने वाला तुम्हारी व्यथा ‘गोविंद’
जिस पर नजरें उठाओ नशे और आवेश में है।
●कवि संपर्क-
●75871 68903
chhattisgarhaaspaas
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