लघुकथा
●पोस्टर युद्ध
●महेश राजा
लघु कथा
अभी अभी टीवी पर न्यूज सुनकर हटा।एक राज्य के दो बड़े शहरों में दो अलग पार्टी वालों ने जगह-जगहपोस्टर लगवाये।विषय यह था कि महामारी के इस कठिन दौर में जन प्रतिनिधि लापता।
एक राजनीति में रूचि रखने वाले मित्र से पूछा-” इस तरह आपस में लड़ने से क्या लाभ?यह समय तो एक दूसरे के साथ मिल कर जनसेवा करने का है।जनता पर इन सबका क्या प्रभाव पड़ेगा”
मित्र हँसे-“भाई ,यह पोस्टर युद्ध है।राजनीति में इसका अपना महत्व है।
यह एक शस्त्र की भूमिका निभाता है।आम आदमी थोड़ी देर के लिये विचलित होता है।फिर अपने पेट की खातिर रोजी-रोटी के चक्कर में फँसा रहता है।”
-“आगे चुनाव में इन बातों का प्रभाव पड़ता होगा न।”-मित्र से फिर पूछा।
मित्र ने कहा-“देखिये, राजनीति का गणित अलग होता है।हमारे देश की जनता भोली है।वे जल्दी ही सब भूला देती है।और फिर इन महारथियोंँ को जन सामान्य को लुभाने के अनेक तरीके आते है।”
थोड़ा रूक कर फिर बोले-“और मजे की बात यह कि ये लोग अपने आलीशान बंगलों में एयरकंडीशनर में बैठ कर हँस हँस कर इसकी समीक्षा बैठक भी करते है।”
आजकल की राजनीति में यह आम बात है।आप भी टीवी पर इसे देखो और भूल जाओ।यही सच है।”
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