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होली विशेष : ‘एकता और परंपराओं का संगम होली’ – यशांसु बघेल [अधिवक्ता]

1 month ago
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सूरज की मीठी धूप ने किया चेहरे को पीला,
टेसू के फूलों से वातावरण लाल है।
खेतों में सजा सरसों के पत्तों का हरा रंग,
आसमानों में नीले रंग का जाल है।
पिचकारियों में भरा रंग गुलाबी,
केसरिया रंग में डूबा यह प्रभात है।
प्यार के रंगों से सजा होली का दिन,
यह तो रंग-रंग की बात है।

गुनगुन सा चलता कानों में वसंत का राग,
परिवारों में खुशियां समाई हैं।
नगाड़ों के सुरिले नाद से,
फागुन की हवाओं में मधुरता छाई है।
रसोई महकी गुझियों की खुशबू से,
मेवों का मिला सौगात है।
लाल, पीले, गुलाबी ये मुस्कुराते चेहरे,
यह तो रंग-रंग की बात है।

बच्चों की किलकारियों से गूंजा माहौल,
पिचकारी और गुब्बारों से सजी सबकी टोली।
गुलाल और भोंपू से चहकी बाजारें,
फाग गीतों की धुन ने हवाओं में सरगम है घोली
गलियों की रौनक बढ़ाई है गीतों ने,
गीतों में श्री कृष्ण और राधा का रास है
सुर में बांधती उन्हें , कोयल की सुरीली आवाज़ है ।

बुजुर्गों के आशीर्वाद से महकती खुशियां,
प्रेम से भरे हर जज़्बात है ।
कहीं हंसी, कहीं ठिठोली, कहीं ठहाके,
ये तो रंग-रंग की बात है ।।

प्रहलाद की भक्ति का अमर है संदेश,
होलिका की लपटों में जल गए सारे क्लेश
द्वंद्वों को खत्म कर लोगों ने ,
भाईचारे का पाठ पढ़ाया है
कही फुल ,कही लाठी , कही अबीर
आज पूरा भारत रंगों में समाया है

एकता और परंपराओं का संगम
यह त्यौहार प्रख्यात है ,
खुशी , उत्साह और प्रेम का सुखद अहसास
ये तो रंग रंग की बात है ।।

• संपर्क-
• 70240 15103

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