






ग़ज़ल आसपास : नूरुस्सबाह खान ‘सबा’

7 days ago
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ग़ज़ल
• मैं बादे ‘सबा’ हूँ, है किस्मत में गर्दिश.
• मेरा कोई घर है न कोई ठिकाना.
वफ़ाओं का जिन पर लुटाया ख़ज़ाना
उन्होंने कभी मुझको अपना न जाना
मोहब्बत की दुनियां में रह कर है जाना
मोहब्बत हक़ीक़त में है इक फ़साना
बहुत थक चुकी हूं मैं ये बोझ ढोकर
मुझे बारे उल्फ़त नहीं अब उठाना
कभी साथ देगी न ख़ुदग़र्ज़ दुनियां
हमे बोझ अपना है ख़ुद ही उठाना
मैं ग़ैरों के भी दर्द को बांटती हूँ
मगर दर्द मेरा किसी ने न जाना
ख़ुदा का करम है उसी की इनायत
मुझे शेरगोई का बख़्शा खज़ाना
जुदा कर दे किस्मत अगर मुझको तुम से
मेरे वास्ते तुम न आंसू बहाना
अलमनाक माहौल में जी रही हूँ
मोहब्बत का छेड़ो न कोई फ़साना
मोहब्बत जताए अगर कोई तुम से
तो परखे बिना उसकी जानिब न जाना
मैं बादे “सबा” हूँ है किस्मत में गर्दिश
मेरा कोई घर है न कोई ठिकाना
• संपर्क-
• 99267 72322
chhattisgarhaaspaas
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