नेताज़ी सुभाष चन्द्र बोस-किशोर कुमार तिवारी
स्वतंत्रता की समरभूमि पर योद्धा तो कई एक हुए
पर इतिहास के पन्नों पर नेताजी केवल एक हुए
एक हुए और नेक हुए आजादी के दीवाने थे
खुद जल कर मरने को आतुर ऐसे वो परवाने थे
नाम सुनकर अंग्रेजों के उड़ जाते तब होश थे ।
कोई नहीं वो भारतरत्न सुभाषचन्द्र जी बोस थे ।।
शौर्यगान के गायक थे और अद्भुत जिनकी प्रतिभा थी
जनक्रांति के नायक जिनमें सैन्य संगठन क्षमता थी
इसीलिए तो अपने दम पर हिन्द फौज निर्माण किए
लक्ष्य तो केवल आजादी थी प्रण करके संधान किए
दिल्ली चलो का नारा देकर भरते जाते जोश थे ।
कोई नहीं वो भारतरत्न सुभाषचंद्र जी बोस थे ।।
आजादी की कीमत जिनने खून से ज्यादा मानी थी
परबस होकर जीने वाली जिंदगानी बेमानी थी
ऐसे शूरवीर का वैभव जगभर में तब छाया था
जिनको लेने काल भी समझो चोरी चोरी आया था
राष्ट्रभक्ति भावों से पूरित वे एक संचित कोष थे ।
कोई नहीं वो भारतरत्न सुभाषचंद्र जी बोस थे ।।
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