रेखा जोशी की कविताएं
फरीदाबाद निवासी, रिटायर्ड प्रोफेसर रेखा जोशी (भौतिकी) ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए रचना प्रेषित की है
*ऑल इण्डिया रेडियो ,रोहतक से विज्ञान पत्रिका के अंतर्गत विज्ञान के विषयों पर वार्ता प्रसारण
*अनेक प्रकाशित साझा संकलनों में साझेदारी
* कई ऑनलाइन रचनाएं प्रकाशित
*आखर मुक्ता’ त्रि-मासिक पत्रिका का संपादन.
* यूट्यूब ‘जिंदगी-जिंदगी’ में काव्य रचना.
*लेखन के अलावा ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र में निपुण. -संपादक ]
कल्पना की सीढ़ी पर
हो कर सवार
छू लिया आज सतरंगी
आसमान
खेलता छुपा छुपी
बादलों से कभी
बन मेघ कभी भिगो देता
आँचल धरा का
चुरा कर इन्द्रधनुष के
रँग कभी
सजाता मांग
अवनी की अपनी
कल्पना के सागर में
गोते लगाता
जमीं आसमान को
रंगीन बनाता
बरसाता ख़ुशी आसमान से
लहराती धरा पर
अमृत ले आता
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उठो सपूतों देश के , भारत रहा पुकार ।
भारत पर तुम मर मिटो ,हो जाओ तैयार ॥
आन बान पर देश की ,लाखों हुये शहीद ।
सीमा पर उत्सव मने ,क्या होली क्या ईद ॥
भारत सीमा पर खड़े ,तन कर वीर जवान ।
आँच न आए देश पे ,हो जायें कुरबान ॥
हमारी जन्म भूमि की ,माटी है अनमोल ।
लगाएँ माटी से तिलक नाही इसका मोल ॥
पावन सबसे भूमि ये, झुका रहे हैं शीश l
रक्षा सदा इसकी करें, प्रभु देना आशीष ll
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