असहाय कविता

4 years ago
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●उड़ान भरती है मेरी कविता
-गोविन्द पाल

विचारों के द्वंद्व को साथ लेकर
कल्पनाओं की पंख फैलाकर
उड़ान भरती है कविता,
जीवन के धुंध और असमंजस से
बाहर निकालने के लिए
आनंद की अनुभूति देती है कविता,
रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने
सुर – ताल लय और स्वाभिमान का
उच्छ्वास है कविता,
दृष्टांत की छाती चीरकर
चेतनाओं की कारीगरी से
जब कविता गढ़ती है नित्य नई कला
तब अंदर दबी हुई
ज्वालामुखी से फूट पड़ती है
गरम लाभा
और उस रक्ताभ लाभे की तपिश से
जलकर खाक हो जाती है
समस्त आंतरिक और बाहरी अहंकार,
अंत में इसकी परिणति
राजनैतिक संस्पर्श में आकर
अस्थिर होकर
असहाय जीवन व्यतीत करती है
हमारी कविताएं।

●कवि संपर्क-
●75871 68903

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