छत्तीसगढ़ी बाल कविता
4 years ago
919
0
■सांस कहां ले पातेन
-डॉ. बलदाऊ राम साहू
[ दुर्ग-छत्तीसगढ़ ]
अगर पेड़ नइ होतिस जग मा
कहाँ चिरइया गातिस
कहाँ बनातिस खोंघरा वो हर
चारा कइसे पातिस?
फल-फलहरी कहाँ ले मिलतिस
अन कहाँ ले पातेन
जर-बुखार बर दवई-पानी
कोन बन ले लातेन।
आसमान के बादर भैया
दूबर पातर होतिस
गरज-घुमर के बस रहि जातिस
दस-दस आँसू रोतिस।
सुन्ना-सुन्ना होतिस जग हर
साँस कहाँ ले पातेन
बिन पानी अउर बिन पवन के
जम्मो झन मर जातेन।
इही पाय के कहिथौं भइया
सब झन पेड़ लगावौ
चलही सुघर पवन पुरवाही
जुरमिल नाचो गावौ।
◆◆◆ ◆◆◆ ◆◆◆