गीत- मुकुंद कौशल
1 क्या करें
2 वह औऱ कुछ है
[ ●सृजन श्री अलंकरण, समाज़ गौरव सम्मान,साक्षरता सम्मान,अहिन्दी भाषी हिंदी सम्मान,लोककला सम्मान,मुश्फिक पुरस्कार,मुकीम भारती पुरस्कार, साहित्य गौरव,भारत गौरव, डॉ. नरेंद्र देव वर्मा सम्मान,अंबिका प्रसाद दिव्य अलंकरण, भुइयां सम्मान,परिधि सम्मान,कथाकार सम्मान सहित औऱ लगभग 30 से भी अधिक सम्मानों,अलंकरणों एवं पुरस्कार प्राप्त, मुकुंद कौशल किसी परिचय के मोहताज़ नहीं. ●हिंदी,छत्तीसगढ़ी, उर्दू व गुजराती भाषाओं में निरन्तर लेखनकार्य. ●मुकुंद कौशल, दुर्ग नगर की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने कला-संगीत एवं साहित्य के क्षेत्र में अनवरत कार्य करते हुए न केवल छत्तीसगढ़ में,बल्कि देश-विदेश में अपनी महती पहचान क़ायम की. ●’लालटेन जलने दो’,’शब्दक्रान्ति’, ‘गीतों का चन्दनवन’,’देश हमारा भारत’,’चिराग़ ग़ज़लों के’,’जमीं कपड़े बदलना चाहती है’,’भिनसार’,’हमर भुइयां हमर अगास’,’मया के मुंदरी’, ‘केवरस’,’सिर पर धूप-आँख में सपने’,के अलावा छ: छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल संग्रह भी मुकुंद जी के नाम है. ●मुकुंद कौशल जी के परिचय के लिए मेरे पास ‘शब्दकोश’ नहीं है, फ़िर कभी ‘छत्तीसगढ़ आसपास’में उनकी यात्रावृत्तांत को विस्तार से रेखांकित करूंगा, आज़ मुकुंद जी के दो गीतों के साथ मेरी बात यहीं तक,आप भी कुछ लिखेंगे, तो ख़ुशी होगी. -संपादक. ]
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