होली आगमन पर विशेष- विनीता सिंह चौहान
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लग गई लगन फ़ागुन की !
आ गई होली शगुन की !
-विनीता सिंह चौहान.
[ इंदौर-मध्यप्रदेश ]
लग गई लगन फागुन की !
आ गई होली शगुन की !
अंबर में उड़े अबीर गुलाल,
धरती हो गई रंग बिरंगी।
चेहरे पर रंग पीले-लाल,
हो गई सजनी अतरंगी।
खेले कान्हा व ग्वालबाल।
हुई राधा की चूनर सतरंगी।
लग गई लगन फागुन की !
आ गई होली शगुन की !
बच्चे बूढ़े सब हुए मस्तरंग,
होली त्यौहार अजब अनोखा।
सच्चे झूठे सब हो गए एकरंग,
सब गले मिले, कौन किसे दे धोखा।
दोस्त दुश्मन सब पर छाया रंग,
हुआ खत्म रंजिशों का लेखा जोखा।
लग गई लगन फागुन की !
आ गई होली शगुन की !
होली का त्यौहार लागे सबसे प्यारा,
अपने रंग में रंग सबको देता संदेश।
भाई भाई एक दूजे से प्रेम करें,
सरहदों में ना बाॅ॑टे घर व देश।
होलिका दहन में हो कोरोना का अंत
दमन असहिष्णुता का, हो खत्म क्लेश।
लग गई लगन फागुन की !
आ गई होली शगुन की !
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chhattisgarhaaspaas
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