होली पर विशेष- संतोष झांझी
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●फ़ागुन आये
-संतोष झांझी
[ भिलाई-छत्तीसगढ़]
फागुन आये फागुन जाए
वो मेरा फागुन लौटा ना
डाली डाली अमरइया में
कुहू कुहू बोली कोयलिया
कोयलिया संग संग नाची
डाल डाल मेरी पायलिया
फिर वो फागुन लौटा ना
नैनों मे सतरंगी डोरे
बिन गुलाल गुलनारी चेहरा
रंग रसिक मधुकर बौराये
आया फागुन बांधे सेहरा
फिर वो फागुन लौटा ना
मन ऐसी काली कामरिया
कोई भी रंग चढ न पाये
मन रस रंग बदरंग हुआ यों
कोई भी रंग न चढ पाये
कोई फागुन हो चाहे पर
अब कोई फागुन न भाये
फिर वो फागुन आया न
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