रचना आसपास- डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
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●हिन्द की-यमदूत मँडराने लगे
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
आजकल अपनों से घबराने लगे हैं
सामने यमदूत मँडराने लगे हैं
मौत की जब से ख़बर उड़ने लगी है
दुश्मनों के फोन भी आने लगे हैं
मोह माया से भरम टूटा सभी का
मुँह छिपाकर दूर से जाने लगे हैं
कर रहे हैं लोग मरने की प्रतीक्षा
बेवजह हमदर्दी दिखलाने लगे हैं
थी ख़ुदाई से जिन्हें ताउम्र नफ़रत
मंदिरों में जोत जलवाने लगे हैं
देखकर रस्ता बदलते थे जो ‘नवरंग’
उन रक़ीबों को भी हम भाने लगे हैं.
●कवि संपर्क-
●7974850694
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