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बाल कविता- •डॉ. बलदाऊ राम साहू.

4 years ago
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●नये तराने गाते हैं
-डॉ. बलदाऊ राम साहू
[ दुर्ग-छत्तीसगढ़ ]

चिड़िया आतीं, कौंवे आते
बगुले भी तो आते हैं
सबके सब वे अपने सुर में
नए तराने गाते हैं।

कोई पूरब-पश्चिम से आते
कोई उत्तर जाते हैं
लेकिन सांझ ढले तो वे सब
अपने घर आ जाते हैं।

कठिन परिश्रम करने वाले
दूर-दूर तक जाते हैं
हर्षित मन से दाना चुगकर
अपनी भूख मिटाते हैं।

सुबह औ’ शाम आसमान में
ये पंछी दिख जाते हैं
समय पर आना और जाना
हम सबको बतलाते हैं।

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