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कविता आसपास- •डॉ. अंजना श्रीवास्तव

4 years ago
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●दर्दे एहसास
-डॉ. अंजना श्रीवास्तव
[ भिलाई-छत्तीसगढ़ ]

अब भी तेरा दर्द
मेरा दर्द है
मेरा दर्द तेरा न सही
तो कोई बात नहीं
पास नहीं दूर सही
एक एहसास तो है
एक अच्छा नहीं
चलो बुरा ही सही
न खत्म होने वाले
एहसास जिन्दा रहते है
कभी आंधी बनकर
डोलते उभरते हैं
कभी नासूर बनकर
जीवन भर चुभते है
एहसास तो दिली है
वो एहसास बनकर जीते हैं ।

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