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बाल कविता : •नये नियम बनाएं

4 years ago
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•डॉ. बलदाऊ राम साहू.

आओ बच्चो गले मिले न, न ही हाथ मिलाएँ
दूर-दूर रहें सदा पर अंतस प्रीति जगाएँ।

छोटे-बड़े यहाँ सभी से अपना नाता है
कोई है सगा – संबंधी, कोई भ्राता है
जो कोई दूर कहीं हो उनको पास बुलाएँ
दूर-दूर रहें सदा पर अंतस प्रीति जगाएँ।

सुख के दिन जब आते हैं खुशियाँ दे जाते हैं
लेकिन दुख के दिन हमेशा हमें रुलाते हैं
इस सत्य को स्वीकारें, धीरता मन में लाएँ
दूर-दूर रहें सदा पर अंतस प्रीति जगाएँ।

कुछ दिनों के लिए यहाँ पर विपदा आई है
लग रहा है हम सब को अब आगे खाई है
सदा भावना वसुधैव कुटुंबकम् की मन लाएँ
दूर-दूर रहें सदा पर अंतस प्रीति जगाएँ।

देखो तो यहाँ विधाता कैसा खेल रचाया
हम सब मानव को यहाँ कठपुतली-सा बनाया
हम सब आपस में मिलकर कुछ नए नियम बनाएँ
दूर-दूर रहें सदा पर अंतस प्रीति जगाएँ।

●कवि संपर्क-
●9407650458

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