■कविता आसपास : •मयारू मोहन कुमार निषाद.
4 years ago
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●अमर बस मानवता है.
-मयारू मोहन कुमार निषाद
[ लमती गांव, भाटापारा, जिला-बलौदाबाजार, छत्तीसगढ़ ]
कुछ पाने की है चाह , कुछ खोने का है डर ।
बस यार जीवन का , यही तो सफर है ।।
काल बना कोरोना ये , आज मंडराएं यहाँ ।
दशहत दिलो पर , बना बैठा घर है ।।
फिर भी है लोग यहाँ , बेखौफ हो घुम रहे ।
जानबूझकर देना , ओखली में सर है ।।
कोरोना हराना जाने , आज खुद पर ही है ।
जीतेगा मानवता ही , यहाँ पे अमर है ।।
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