माँ का कोई एक दिन नहीं होता,माँ वो है जिसके बिना कोई दिन नहीं होता ! मातृ दिवस के दिन मन के कुछ भाव समर्पित करती हुई-अमृता मिश्रा.
4 years ago
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●तेरा मेरा रिश्ता
-अमृता मिश्रा
[ भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
मेरे हर दर्द की आहट तुम्हें महसूस हो जाती हैं,
मेरी चाहतें तेरे आँचल के साये में पलती हैं।
वो ऐसा कौन सा लम्हा है जिसमें तेरी छवि न समायी हो,
है ऐसी कौन सी मंज़िल जो तेरे बगैर पाई हो।
तेरे होने का एहसास ही बहुत है सारी उलझनों के बीच,
तेरी नज़रों में मैंने सदा उम्मीद पाई है।
मेरी हर खुशी के मायने तुझसे ही निकलते हैं,
मेरे अस्तित्व में कुछ इस तरह से तू समाई है।
[ कवयित्री अमृता मिश्रा, दिल्ली पब्लिक स्कूल, भिलाई में शिक्षिका हैं. ]
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