■कविता आसपास : •डॉ.अंजना श्रीवास्तव.
●शाश्वत सत्य
-डॉ. अंजना श्रीवास्तव
[ •भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
मृत्यु एक शाश्वत सत्य है
कब कहाँ कैसे होगी
मालूम नहीं ।
मौत तो आनी है
अवश्य आयेगी ।
मगर कोरोना काल
बड़ी भ्रामक स्थिति है ।
मौत आ रही है, जा रही है
एहसास दिला रही है।
हर पल मौत का भय
कठिनकर होता जा रहा है ।
कुछ तो सहन कर ले रहे है
कुछ खामोश है ।
कुछ भाग रहे है
स्वतंत्र जिन्दगी की कामना है ।
आज तो जी लो
कल किसने देखा किसने जाना ।
मौत की परवाह नहीं
जिन्दगी नहीं मिलेगी दोबारा ।
लाँकडाउन तोड़कर
बिन्दास घूम रहे हैं ।
विनाश की भाषा
समझ नहीं पा रहे हैं ।
अन्जान है
बेवजह सृष्टि से पंगा ले रहे है ।
स्वयं को मारने के चक्कर मे
दूसरो को मार रहे है ।
मरने मारने का अधिकार
तुम ने कैसे ले लिया ।
आबोध लोगों परिणाम पर
जरा नजर तो डालो।
न हम रहेंगे,न तुम रहोगे
न हम रहेंगे, न तुम रहोगे।
रहेगी सिर्फ खामोशी.,,खामोशी,,,।
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