■छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल : •डॉ. बलदाऊ राम साहू.
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●मूरख पन हे हँसी उड़ाना
-डॉ. बलदाऊ राम साहू
[ दुर्ग-छत्तीसगढ़ ]
तोर अकेल्ला आना – जाना
नो हे हिम्मत के पैमाना।
कौनो हर पासंग म राहय
काहत हावै आज जमाना।
जउन मनखे हर माने नहीं
उन मूरख ला का समझाना।
उनला हम कइसे हबराबो
जेकर नइ हे ठउर-ठिकाना।
मनखे हर जउन समरथ नइ हे
मूरखपन हे हँसी उड़ाना।
आज जिनगी ला जी ले भैया
कल के नइ हे कौनो ठिकाना।
मर जाबे तब धरे रहि जाही
घर मा भरे हे तोर खजाना।
‘बरस’ कहत हे बात मान ले
बिरथा हे जी आज जमाना।
●कवि संपर्क-
*●94076 50458
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