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  • ■रचना आसपास : •डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’

■रचना आसपास : •डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’

4 years ago
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●हिन्दकी – मुझे लुभा न पाएगा
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]

मुझे लुभा न पाएगा मोहपाश तुम्हारा
कभी नहीं बन पाऊंगा मैं ख़ास तुम्हारा

मेरे वर्तमान को धुँधला करने वालों
खंडित कर दूंगा कल मैं इतिहास तुम्हारा

स्वार्थ के लिए भटक रहे हो इधर से उधर
ख़त्म नहीं होगा जग में वनवास तुम्हारा

देखा-देखी चला रहे हो तीर हवा में
घायल तुम्हें ही कर न दे अभ्यास तुम्हारा

मँडराते है चील हर घड़ी लाश नोचने
मुर्दों से भर गया आज मधुमास तुम्हारा

जिनकी आँखों का पानी मर चुका देखना
वही बनेगा रोते – धोते दास तुम्हारा

●कवि संपर्क-
●94241 41875

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