ग़ज़ल : •डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
4 years ago
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●दर्द लेकर तुझे दवा देता
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
रंज था मन में तो जता देता
अपने घर का सहीं पता देता
फाड़ देता भले बिना खोले
ख़त मिला या नहीं बता देता
इक इशारा जो कर दिया होता
बात को मैं वहीं दबा देता
लोग जो जानते नहीं उसको
बोल देता तो मैं हवा देता
लोग जलभुन के राख हो जाते
मैं जो लम्हे तेरे सजा देता
ज़िदगी से गिला नहीं करता
आख़िरी वक़्त तक दुआ देता
आज़मा कर तो देखता ‘नवरंग’
दर्द लेकर तुझे दवा देता
●कवि संपर्क-
●7974850694