कविता :- •महेश सिंह.
●हठयोगी सत्यनारायण बाबा
-महेश सिंह.
[ बिलासपुर-छत्तीसगढ़]
रायगढ़-कोसमनारा की सुनो कहानी ,
जो है अद्भुत व सुहानी ।
कोसमनारा को बनाया धाम ,
सत्यनारायण बाबा है नाम ।
हर्षमती है जिनका माता ,
दयानिधि को जानिए पिता।
तेरह बरस का बालक किशोर ,
छोड़ दिया घर को भोर।
स्कूल में न भाया पाठ ,
गया दोपहर को वह भाग।
भोलेनाथ का किया आह्वान ,
कर दिया शिवजी को जिह्वा दान।
आसन बनी धरती छत बना आकाश ,
सर्द – गर्मी का होता न उसको अहसास ।
हठयोगी बन कर रहा है तप ,
” ॐ नमः शिवाय ” है उनका जप।
जनकल्याण बना मकसद ,
अनवरत इसमें है वह रत।
पूरा दिन रहता है भीड़ ,
वे रहते हैं ध्यान में लीन।
वर्षो से न खाया अन्न – पानी ,
फिर भी स्वस्फूर्त जिए जिनगानी।
दूर – दूर फैला बाबा का खबर ,
पड़ गई इस पर मीडिया की नजर।
हकीकत की करने पड़ताल ,
मीडिया ने फेंका जाल।
डाल दिया कोसमनारा में डेरा ,
लगा दिया कैमरे का घेरा।
निकला न कुछ परिणाम ,
चिकित्सा जांच का किया इंतजाम।
परीक्षण का आया नतीजा ,
वह भी रहा बेनतीजा।
हो गए अब अभिभूत ,
मान लिए महादेव का दूत।
ऐसा है अद्भुत शक्ति ,
करता भगत जिनका भक्ति।
करना है जिनको दीदार ,
चले आओ कोसमनारा एक बार।
[ ●रचनाकारों के रचनात्मक लेखन से ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ आज़ 10 माह में ही 2,50,000+ वीवर्स की ओर बढ़ रहा है. हम लेखकों के दिल से शुक्रगुजार हैं. ●सरकंडा, बिलासपुर के निवासी महेश सिंह शिक्षक हैं और लेखन के प्रति रुचि भी. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ में महेश जी की पहली रचना प्रस्तुत है, अपनी राय से अवगत कराएं. -संपादक.]■