ग़ज़ल : •सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’.
●मुस्कुरा लेंगे गम में भी हम
कोई पहलू हँसी का तो हो.
-सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’.
[ मुरादाबाद-उत्तरप्रदेश ]
बहरो ‘बर में किसी का तो हो।
आदमी’ – आदमी का तो हो।
बैर बैरी से रक्खो ‘भले।
कुछ भरम ‘दोस्ती का तो हो।
जो ग़लत है , ग़लत है मगर।
कोई साथी सही का तो हो।
मुस्कुरा लेंगे ‘ग़म में भी हम।
कोई पहलू हँसी ‘का तो हो।
हम को मंज़ूर घर वापसी।
पर सबब वापसी का तो हो।
तीरगी से भी लड़ जाएँ हम।
इक’ दिया ‘रोशनी का तो हो।
ज़िन्दगी में फ़राज़ अपनी भी।
कोई लम्हा ‘ख़ुशी का तो हो।
सरफ़राज़ हुसैन’फ़राज़ मुरादाबाद।
[ ●’छत्तीसगढ़ आसपास वेबसाइट वेब पोर्टल’ देश के कई राज्यों तक अपनी पहुंच बनाते हुए,सिर्फ़ 10 माह में 2,50,000+ वीवर्स होने जा रहा है. ●इस बड़ी उपलब्धि के लिए रचनाकारों के योगदान के हम शुक्रगुज़ार हैं औऱ रहेंगे. ●सरफ़राज़ जी की पहली ग़ज़ल ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए प्रस्तुत है, कैसी लगी,बताएं. -संपादक.]■