ग़ज़ल : •कामिनी व्यास रावल.
●हमने क्या क्या न किया,
उनको मनाने के लिए.
-कामिनी व्यास रावल
[ उदयपुर-राजस्थान ]
बात बिगड़ी हो तो फिर उसको बनाने के लिए
झुकना भी पड़ता है अपनों को मनाने के लिए
ज़िन्दगी उलझी रही इस में ही अपनी अब तक
दाँव लगते ही रहे वादा निभाने के लिए
जाने क्योंकर हैं ख़फ़ा बात बताते भी नहीं
हमने क्या क्या न किया उनको मनाने के लिए
हम तो तैयार ही बैठे थे बड़े अरमां से
आप आये ही नहीं हमको बुलाने के लिए
उसने महफ़िल में सुनाई न ग़ज़ल लोग मगर
मिन्नतें करते रहे लाख सुनाने के लिए
बात करिये तो हँसी और ख़ुशी से वर्ना
है यहाँ लोग बहुत दिल को दुखाने के लिए
कामिनी करनी पड़ी हमको भी कितनी मेहनत
ख़्वाब जीवन के हक़ीक़त में सजाने के लिए
[ ●कामिनी व्यास रावल,मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान में लेक्चरर के पद पर पदस्थ हैं. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ अब देश के कई राज्यों में पढ़ा जाने लगा. ●’छत्तीसगढ़ आसपास वेबसाइट वेब पोर्टल’ के सिर्फ़ 10 माह में 2,50,000+ वीवर्स हो गए. ●कामिनी जी की ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के लिए पहली रचना प्रस्तुत है, कैसी लगी लिखें. -संपादक. ]■