■छत्तीसगढ़ी रचना : •दुर्गा प्रसाद पारकर.
●रेडीमेट डॉक्टर.
-दुर्गा प्रसाद पारकर
[ भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
फेंकूराम के टोटा म
मछरी के काँटा ह अरहज गे ,
ए काँटा ह
मोर संग नइ निकले
हेरवाये बर डॉक्टर करा
जाय बर परही कहिके समझ गे |
फेंकूराम ह
काँटा ल हेरवाये के बाद कथे –
डॉक्टर साहब महूँ ह
डॉक्टर बनना चाहत हँव
ओकर बर मोला का का
करे बर परही ?
मँय आप ले
सलाह लेना चाहत हँव
डॉक्टर कथे –
पी. एम. टी. देवाय बर परही ,
ओमा सलेक्शन होय के बाद
पाँच बच्छर ले
मेडिकल कालेज म
पढ़ई करे बर परही |
फेंकूराम कथे –
जब पी. एम. टी. के
अरथ ल जानबे नइ करँव
त सलेक्शन कइसे होही ?
एह तो मोर बर
द्रोणाचार्य ल अँगूठा देखाय
कस हो जही |
डॉ. के उपाधि बर
कोनो अउ रद्दा नइ हे ?
मोला नाम के आघू म
डॉ. भर लिखना हे
इलाज पानी करना
मोर उद्देश्य नइ हे |
डॉक्टर कथे –
एक काम कर अइसे बात हे त
पी. एच. डी. कर
पी. एच. डी. करे के बाद
डी. लिट घलो कर सकथस
ताहन
छत्तीसगढ़ म सब ले जादा
विद्वान के रूप म
जाने जा सकथस |
फेंकूराम कथे –
पी. एच. डी. अउ डी. लिट.
के मतलब का होथे
तेला मँय जानबे नइ करँव
त कहाँ ले कर पाहूँ ?
जे फर अमराये नही
ते डारा म हाथ ल काबर लमाहूँ?
डॉक्टर कथे –
जब तँय पढ़ लिख नइ सकस
त कला, साहित्य कस अउ कतनो क्षेत्र म
पढ़इया लिखइया मन ले जादा
संसार म नाम कमा
ताहन एक नही बल्कि दू-दू
युनिवर्सिटी ले तीजन बाई कस
डी. लिट के
मानद उपाधि मिल जही
ताहन
तोला बिक्कट
मान सम्मान मिलही
फेंकूराम कथे –
मँय पद्म विभूषण, पद्मश्री,
डॉ. तीजन बाई कस
साधना, संघर्ष अउ तपस्या
नइ कर सकँव ,
मँय ओकर कस दिन रात
कृष्ण कन्हैया के
भजन नइ कर सकँव |
मँय ओकर कस
देस बिदेस म नाम नइ कमा सकँव
न ही मँय
बूढ़ा जहूँ तभो ले
छत्तीसगढ़ महतारी के
गौरव ल बढ़ा सकँव |
मँय झोला छाप डॉक्टर
बनना चाहत हँव
हिंग लगे न फिटकिरी
रंग ल चोखा लगाना चाहत हँव |
डॉक्टर कथे-
मँय तोला झोला छाप डॉक्टर
बने के सलाह नइ दे सकँव
तोला बनना होही त बन जा
आज के बाद
तोर थोथना ल मँय नइ देखँव
पढ़ लिख नइ सकस त
डॉक्टर बने के सपना ल छोड़
भुइँया महतारी के सेवा करे बर
धियान ल खेती डाहर मोड़ |
फेंकूराम कथे –
डाक्टर साहेब
मोला तो
सिरिफ सेखी बघारे बर
डॉ. के उपाधि चाही
बिना तेल के बाती बरे
अइसे दीया चाही
तभे तो मोला
बड़ विद्वान आदमी आय कहिके
मोला कार्यक्रम के अध्यक्ष
नही ते मुख्य अतिथि बनाही ,
स्वागत म कोरी – कोरी
माला पहिराही |
डॉक्टर कथे –
मँय समझ गेंव
तँय डॉक्टर बने के लइक नइ हस
तँय सिरिफ डॉक्टर के उपाधि बर
बइहा हस |
फेंकूराम कथे –
मँय सुने हँव
डॉक्टर के उठवा (रेडिमेंट)
उपाधि घलो मिलथे कहिके
घर बइठे आनलाइन
आ जथे कहिथे |
डॉक्टर कथे –
मँय तोला रेडिमेंट डॉक्टर बने के
सलाह नइ देवँव
जानबूझ के मँय तोला
लद्दी म नइ ढकेलँव |
फेंकूराम कथे –
लद्दी म मँय ह खुसरहूँ त
मँय ह सनाहूँ डॉक्टर साहेब
मोला तो सिरिफ पता बता दे
का – का करे बर परही
तेकर उदिम बता दे |
डॉक्टर कथे –
मँय तो नइ जानँव
ओकर पता
कोचिया मन करा पूछ ले
उमन तोर बेवस्था कर दिही
ताहन
अपन साध ल पूरा करे बर
नाम के आघू म डॉ. लिख ले |
कोनो थोरे पूछही
डॉक्टर के उपाधि तोला
कइसे मिले हे
डॉक्टर के उपाधि पाय बर
का चारा गूँथे हे ?
येकर बाद
तँय मोर बात ल
कान खोल के सुन ले राह
एती खाय बर तो खाबे मछरी
फेर देख के खाबे
जे दिन तोला रेडिमेंट डॉक्टर के
उपाधि मिल जही
ओकर बाद काँटा हेरवाये बर
मोर करा झन आबे |
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