■कविता आसपास : •दिलशाद सैफ़ी.
●बचपन
-दिलशाद सैफ़ी
[ रायपुर-छत्तीसगढ़ ]
बचपन इस जीवन के
आरंभ काल का सबसे
सुंदर अविस्मरणीय
क्षण होता है…
काश के हम न
कभी बड़े होते
काश के हम इन
सबसे अच्छे होते
काश के हम छोटे से
बच्चें होते…
कागज़ की नाव बनाते
बादल से शर्त लगाते
बारिस की बूंदों में भींग
भींग के खुश होते…
गुड्डे- गुड़ियो की वो
अनोखी दुनिया होती
नानी-दादी की अबूझ
कहानियों में गुम होते…
न जीने की फ़िक्र होती
न मरने का डर होता
अपनी इस प्यारी सी
दुनिया के,हम सब ही
शायद रब होते…
मांगों जो एक पल में
मिल जाता
दिल को न कोई
दर्द सताता
न बंधनों की कोई
डोर होती
न किसी रिश्तो में
उलझें होते…
बचपन की ये
सारी बातों में
सारे किस्सों में और
कहानीयों में ही गुम होते…
काश उस दौर में हम
फिर जा पाते
काश हम सब फिर
बच्चें बन जाते…
काश उन जैसे हम
फिर सच्चें हो जाते
काश के हम सब अब भी
छोटे से बच्चें हो जाते..।
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