■कविता आसपास : •सरिता गुप्ता ‘आरजू’.
4 years ago
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●प्रकृति
-सरिता गुप्ता ‘आरजू’
[ रायगढ़-छत्तीसगढ़ ]
काल के कपाल पर,
सृष्टि के श्रृंगार पर
सुरमयी पराग -कण
सुगंध को बिखेरती है॥
प्रेम के महारास को,
सूर्य के प्रकाश को.
दिव्य दीपमालिका,
नेह से पखारती है॥
ताप के प्रचंड को,
अखंड शिलाखंड को भी.
प्रेम की उदारता ,
मोम सी पिघालती है॥
सूक्ष्मातिसूक्ष्म को,
स्थूलता से रूह को.
सत्य की अदम्य शक्ति,
प्रति पल निखारती है॥
भावना के वेग को ,
तीक्ष्ण राग -द्वेष को.
निर्मल -पुनीत -मन,
गंगा -सी तारती है॥
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