■कविता आसपास : •ग़ज़ल : उजाला होने दो – •तारक नाथ चौधुरी.
3 years ago
281
0
●हवा खिलाफ है बेशक,
लियाकत तुममें है ‘तारक’.
शमा की कर लो हिफाजत,
उजाला होने दो.
-तारक नाथ चौधुरी
[ चरोदा, भिलाई-छत्तीसगढ़]
न करो रौशनी से सियायत,
उजाला होने दो।
रहे न नज़रों में हिकारत ,
उजाला होने दो।
उखड़ती साँसों पर अब तो
रहम कर दे मेरे मौला,
कुबूल सबकी हो इबादत,
उजाला होने दो।
लगे शमशान की मानिंद,
ये गलियाँ और चौबारे
दिखती हर सू ये सदाक़त,
उजाला होने दो।
हमारी जिंदगी तो थी
खुदावंद तेरी अमानत
भला फिर क्यूँ ये ख़यानत,
उजाला होने दो।
हवा खि़लाफ है बेशक़
लियाक़त तुममें है”तारक’
शमा की कर लो हिफाज़त,
उजाला होने दो।
●कवि संपर्क-
●83494 08210
◆◆◆ ◆◆◆