■रचना आसपास : •पूनम पाठक बदायूं.
●न नैनों का नीर लिख.
-पूनम पाठक बदायूं.
[ इस्लामनगर, बदायूं,उत्तरप्रदेश ]
कलम तू न नैनो का नीर लिख
हो सके तो हृदय का धीर लिख
कल्पना के पंख गीले हैं अभी
प्रेम लिख न नफरत की आग लिख
कलम तू न नैनो का नीर लिख
हो सके तो ह्रदय का धीर लिख
रात बीत जाने फिर से आने को है
हो सके तो अब खूबसूरत भोर लिख
न संध्या का पहरा डूबता सूरज लिख
मेरी माने तो चिड़ियों का राग लिख
कलम न चुभन की बात कर तू कभी
गुलाबों की पंखुड़ियों का एहसास लिख
मरुस्थलों की गाथा क्यों लिखती है कलम
हो सके तुझसे लहलहता बाग लिख
मत लिख देना धोखे से दोस्ती में नफरत
हो सके तो कृष्ण सुदामा का प्रेम लिख
कलम मत लिख देना भूखे पेट का दर्द
हो सके तो दूध रोटी और दाल लिख
लिख दी है तूने डोर के साथ पतंग
पवन के झरोखे हठीले हैं न उड़ान लिख
बंध से निबंध बिंदु से विस्तार लिख
हो सके तुझसे तो मखमली अनुवाद लिख
मत लिख देना नैनो की ख़ामोशी कलम
आंसुओं का अंतर नैनो का मंदहास लिख
कलम अगर लिखे तू दुखों का आरम्भ
तो अवश्य हर पीड़ा का अंत लिख
कलम न्यून को समकोण लिख
हो सके तुझसे तो राग को अनुवाद लिख
कलम तू अपने शत्रु की हार लिख
विजय का हर्ष उन्नति का पैगाम लिख
कलम तू न नैनो का नीर लिख
हो सके तो हृदय का धीर लिख।।
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