■दो छत्तीसगढ़ी कविताएं : •दुर्गा प्रसाद पारकर.
■1. जादा जियानथे.
बुधारू कथे –
कस समलिया
ओ दिन तोर परोसी ह
तोला पीटिस त
ओतेक दुखी नइ रेहे,
फेर
आज तोर भाई ह तोर संग
झगरा करिस त
बिक्कट दुखी हवस?
समलिया कथे –
एक ठन किस्सा हे
सोनार करा
सोना ह लोहा के मार ल
कलेचुप सहि लेथे,
फेर लोहा ह लोहा के मार ले
लोहार करा
चिल्ला चिल्ला के रो डरथे |
बुधारू कथे –
ठउँका केहे भइया
पर के मार ह
जादा नइ जियाने
फेर
अपन के मार ह
जादा जियानथे |
■2. संगवारी.
रमौतिन ह
अपन गोसइया ल कथे –
भगवान ल
संगवारी बनाय ले
बिक्कट फायदा होथे
तहूँ ह नइ बना लेते जोड़ी,
इतिहास गवाही हे
भगवान ल संगवारी बनाय ले
सुदामा ल का फायदा होथे |
भगवान ल नइ बना सकस त
देवता
असन सज्जन मनखे
जउन ह
सुख – दुःख म एक दूसर के
काम आवय
अइसन संगवारी बना डर |
रमौतिन के गोसइया कथे –
एह द्वापर आय
न त्रेता आय
एह कलयुग ए,
आज के समे म
श्रीकृष्ण – सुदामा
अउ
श्रीराम – भक्त गुहा निषाद राज कस
सखा मिलना मुश्किल हे |
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