■दोहे : •डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
3 years ago
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●काट रहे वनवास
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
● आज किसी संबंध पर ,रहा नहीं विश्वास
धर्म निभाने तात का ,काट रहे वनवास
● जीवित थे तब-तक कभी , हुआ नहीं अहसास
लोग बचे कंकाल में , खोज़ रहे इतिहास
● हरियाली गायब हुई ,चुभता है मधुमास
किसने की ये दुर्दशा , पूछ रहा आकाश
● हुआ अपहरण सूर्य का, तम का हुआ विकास
रही अधूरी उम्रभर ,उजियारे की आस
● जितना डाले शर्करा , उतनी बढ़ी खटास
वैरागी मन इसलिए , हरदम रहा उदास
•कवि संपर्क-
•79748 50694
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