■ग़ज़ल : •डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’.
4 years ago
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●घटाओं ने ग़म दिया होगा
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
जब घटाओं ने ग़म दिया होगा
भीग जाने का मन हुआ होगा
टकटकी बाम पर लगी होगी
रात छप्पर बहुत चुआ होगा
भा गया ऐसे में अगर कोई
दर्द दिल में कई गुना होगा
लुत्फ़ आता है बूंद पड़ने पर
ये सबक उसने भी सुना होगा
हो गए होंगे पाँव बेक़ाबू
ख़्वाब कोई नया बुना होगा
इश्क़ में डूब जाएगा जिस दिन
हर बशर में फ़कत ख़ुदा होगा
ये किसी की खता नहीं ‘नवरंग’
द्वार अपने से ही खुला होगा
●कवि संपर्क-
●79748 50694
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