■इस माह के छत्तीसगढ़ी कवि : ■दुर्गा प्रसाद पारकर.
■काके लागू पाय.
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े
काके लागू पाँय
बलिहारी गुरू आपणो
गोविन्द दिये बताय
एकलव्य ह
द्रोणाचार्य ल कथे –
मँय धरम संकट
म हवं गुरूदेव
मँय गुरू अउ गोविन्द
म पहिली काकर
पाँय लागौं
अउ
पूछे बर मँय
काकर कर जाँव
आपके मुरती ल
गुरूदेव मान के
ज्ञान ल तो साध डरेंव
साध के आप करा
असीस ले बर गेंव त
गुरू दक्षिणा म मोर
अँगूठा ल माँग लेस
सिखोय बर छोड़ के
मोला इही मेर रोक देस
अब तिंही बता गुरूदेव !
गुरू गोविन्द दोउ खड़े
काके लागू पाँय
मोर असन अभागा ल
ए सवाल के जवाब
कोन बताय ?
■चतुरा.
चैतू ह बैसाखू ल कथे –
बिला म हाथ झन डारबे
चाब दिही केकरा
बैसाखू ह कथे –
तँय कइसे गोठियाथस
चतुरा ल कभू
नइ चाबे केकरा
चैतू कथे ओ कइसे ?
बैसाखू कथे –
कोकड़ा ह
दिखे म शांति के प्रतिक
सादा दिखथे
फेर
ओह बहुत बड़े सिकारी रथे
ओकर निशाना
कभू फेल नइ होवय
हल्ला भले नइ करय
फेर
टूप्प ले मछरी ल
बिन देथे
इही ओकर चतुराई रथे |
बिना हल्ला करे
लक्ष्य ल पाय बर
कोकड़ा ल गुरू बना के
गुरू मंत्र मांगहूं
ओकर बाद
महूं ह
चतुराई ले
केकरा ल कलेचूप चपकहूं |
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