■महेन्द्र कुमार मद्देशिया की दो कविताएं.
●मूक दीवारों के हज़ारों सवाल.
मूक दीवारों के हजारों सवाल
किस सवाल का आप देंगे जवाब ?
लाशें बिछ रही है
जैसे बिछे चारपाईयाँ
बेसुध हुआ मानव
मौत ले रहा अनवरत अंगडाईयाँ
क्या वस्तुतः मजबूत है
भय, मातम, बेदर्द और नाशवान का
यह कोरोना जाल ?
लोग धर्मराज बने फिरते हैं
फिर भी किसी का ध्यान इस ओर नहीं
गरीब भूखा – प्यासा मर जा रहा
किंतु मीडिया में यह शोर नहीं
हम गरीब हैं, महोदय !
हमारे लिए आप तानाशाहों के खिलाफ
क्यों करेंगे पड़ताल ?
महंगाई, भ्रष्टाचार, पाप, हिंसा
लगातार बढ़ रहा है
इसमें मैं, तुम और सब नहीं
मानवता मर रहा है
जनता चुप है
तो आप क्यों नहीं कहते
अभी कुछ ठीक नहीं है, फिलहाल ?
●रास्ते.
रास्ते, जो कभी समाप्त नहीं होते हैं ।
यह मैं, तुम और सभी जानते हैं ।।
भूलकर अतीत नव पथ पर चलना पड़ता है ।
उत्थान के लिए कठिनाइयों से लड़ना पड़ता है ।।
रास्ते के पश्चात रास्ते, कई नए रास्ते ।
जिंदगी में खुलते हैं, विकास के वास्ते ।।
छोटा मरीच जीवन में उजाला ला सकता है ।
पथ आपको मंजिल पर पहुंचा और भटका सकता है ।।
रास्ते निर्भर करते हैं, चलने का तरीका ।
हम पर निर्भर है, उद्धार – उत्थान आदि का सलीका ।।
पाते हैं, जो मंजिल संघर्षों की पथ पर चलकर ।
मरीच उनके जीवन का तम मिटाती स्वयं जलकर ।।
【 ●दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर -उत्तरप्रदेश के विद्यार्थी महेन्द्र कुमार मद्देशिया,मात्र 17 वर्ष की उम्र में साहित्य में,लेखन प्रतिभा के माध्यम से नई उड़ान की ओर हैं. ●महेन्द्र की पहली काव्य संग्रह ‘युगभारती’ वर्ष 2020 में आई,जिसे विधिकार्य निदेशालय भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ट पुस्तकों की सूची में सम्मिलित किया गया है. ●राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में महेन्द्र की रचनाओं का निरंतर प्रकाशन हो रहा है. ●17 सितंबर 2002 को सिद्धार्थनगर जिले के सल्हन्तपुर गांव में जन्में महेन्द्र कुमार मद्देशिया को अब तक 15 राष्ट्रीय और 1 अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के वेबसाइट वेब पोर्टल को उत्तरप्रदेश में इन्होंने देखा और हमसे संपर्क कर रचना भेजी. ●आज़ इनकी पहली रचना प्रकाशित है,कैसी लगी बताएं. -संपादक 】
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