■आगे सावन महीना : ■डॉ. पीसी लाल यादव.
●झिमिर-झिमिर पानी गिरे,
●ओरवाती ले मोती झिरे.
-डॉ. पीसी लाल यादव.
[ गंडई-छत्तीसगढ़ ]
झिमिर- झिमिर पानी गिरे,
ओरवाती ले मोती झिरे।
आगे सावन महीना…आगे सावन महीना।
मांदर बरोबर बादर गरजे,
बिजली लऊके पानी बरसे।
चारों मुड़ा पानी च पानी,
रुखराई हरियर जिनगानी।।
बाजे बरखा के बीना, आगे सावन महीना।।
झिंगुरा मन ह गावय गाना,
ताली बजावय डारा-पाना।
जुड़- जुड़ पुरवाही ह डोले,
चींव – चींव चिरईया बोले।।
बोले पँड़की अउ मैना,आगे सावन महीना।।
खार- खार म चले बियासी,
खाले नंगरिहा चटनी बासी।
निंदइया मन ददरिया झोरे,
बाँहा – बल म परिया टोरे।।
तर – तर चुहे पछीना,आगे सावन महीना।।
नंदिया दऊँड़े तरिया छ्लके,
टेटका – मेचका नाचे – कूदे।
गली- खोर म माते चिखला,
मेछरावत हे बइला टिकला।।
झूलना झूलत हे मीना ,आगे सावन महीना।।
कोंहड़ा – तुमा राखिया नार,
झाँकत हे भाँड़ी के पार।
कुँदरु – करेला तोरई फूले,
खीरा ह ढेंखरा म झूले।।
लइका नाचे तक धिना,आगे सावन महीना।।
नान्हे लइका बांध बनावय,
कागज के डोंगा चलावय।
तरिया के मछरी झोरी चढ़े,
लइका सियान सबो पकड़े।
टेंगना खोकसी पढ़हिना,आगे सावन महिना।।
गली – खोर म रचगे काई,
बिछ्ल के गिरगे ममा दाई।
कठल के हाँसय डोकरा,
मगन होगे छोकरी छोकरा।
मजा का हाँसी बिना?आगे सावन महीना।।
खिनवा पहिरे हवय बँभरी,
सुवा पारत हवय सिसरी।
राऊत ओढ़े कमरा खुमरी,
बजावे अलगोजवा बँसरी।
बूँदिया बरसे नगीना, आगे सावन महीना।।
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●94241 13122
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