■कविता आसपास : ■तारक नाथ चौधुरी.
3 years ago
177
0
●भाव छंद में बंध जाओ.
-तारक नाथ चौधुरी.
[ चरोदा,भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
ऐसा नहीं कि पीर नहीं,
शेष,नयन में नीर नहीं।
चूका हूँ हर बार लक्ष्य से,
पास,अर्जुन सा तीर नहीं।
अब द्रौपदी को कृष्ण-सरीखा,
देता कोई चीर(वस्त्र)नहीं।
सब द्रुत सरित सा भाग रहे
पुष्कर सा कोई धीर नहीं।
स्वर मेरा नितांत मेरा है,
पिंजरबद्ध मैं कीर नहीं।
मानवता की ध्वजा जो थामे
दिखता ऐसा मीर नहीं।।
●कवि संपर्क-
●83494 08210
■■■ ■■■