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शरद पूर्णिमा, खीर औऱ साहित्य- महेश राजा

5 years ago
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शरद पूर्णिमा पर कर्मचारी वर्ग ने एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया था।

देर रात चले कार्यक्रम में कवियों ने अपनी रचना से खूब वाहवाही लूटी।

दूसरे दिन आफिस में इसकी खूब चर्चा हुई।रसमर्मज्ञ देश पांडे जी से किसी ने उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही।

देशपांडे जी साहित्य रसिक थे।मग्न हो कर बोले,-“रचनाएं तो ठीकठाक थी।पर हाँ,बारह बजे के बाद आप लोगों ने जो खीर वितरित की , वह अत्यंत स्वादिष्ट थी; एक बात और, कार्यक्रम के समापन के बाद भजिए और चटनी ने तो मजा ला दिया।स्वाद अभी तक जीभ पर बना हुआ है।भई ,वाह!”

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