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लघु कथा, नये फर्नीचर -महेश राजा, महासुमन्द-छत्तीसगढ़

4 years ago
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त्यौहार सिर पर थे। ढेर सारी तैयारियां करनी शेष थी।वनिता जी परेशान थी।वे समाज सेविका थी।घर पर काफी लोगों का आना जाना था।इस बार फर्नीचर भी सब पुराने हो गये थे,वे चिंतित नजर आ रही थी।

पति देव आफिस से लौटे ,वनिता जी को परेशान पाया-“,पूछ बैठे,क्या हो गया रानी जी।चेहरे पर बारह क्यों बज रहे है?”

वनिताजी ने चिंता जतायी।पति जी मुस्कुराये,-“बस,इतनी सी बात।अरे भाग्यवान, हम किस लिये है।सब हो जायेगा।देख लो आज ही आफिस और इंस्पेक्शन क्वार्टर के लिये फर्नीचर खरीदने का आर्डर हेडक्वार्टर से आया है,और यह काम इस नाचीज के हवाले है।समझ लो ,तुम्हारा काम हो गया।त्यौहार के पहले ही घर पर नये फर्नीचर आ जायेंगे।अब फटाफट मुस्कुरा ओ और गरमागरम काफी पीलवाओ।”

लेखक संपर्क-
94252 01544

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