लघु कथा, मुस्कुराता दीपक
4 years ago
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- महेश राजा
- महासुमन्द-छत्तीसगढ़
रोशनी का पर्व। हर घर में दीपक रोशन थे।
एक कालोनी के फ्लैट में रंगबिरंगी जगमगाती लाईट जल रही थी।सब कुछ चमक रहा था।
सामने ही वर्कर क्वार्टर में बिरजू अपने माता पिता के साथ रहता था।बिरजू की मां ने रंगोली बनायी थी,और दीपक जलाया था।घर पर भी तुलसी क्यारे व मंदिर में दीपक जल रहा था।
फ्लैट मालिक के पुत्र बंँटी पटाखे चला रहा था,और जगमगाते बल्ब की रोशनी पर इतरा रहा था।वह बिरजू को चिढ़ा भी रहा था।बिरजु खामोश फुलझड़ी हाथ में लिये ,दीपक निहार रहा था।
तभी कोई खराबी आ जाने से बिजली गुल हो गयी।बंँगलें में अंँधेरा छा गया।बंँटी रोने लगा।
उधर बिरजू के छोटे से घर में दीयें रोशन हो रहे थे ।बिरजू मुस्कराता हुआ दीपक की रोशनी में फुलझड़ी जला रहा था।
लेखक संपर्क-
94252 01544
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