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लघु कथा, रोशन दीपावली- विक्रम ‘अपना’, नंदिनी अहिवारा-छत्तीसगढ़

4 years ago
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बॉर्डर पर युद्ध छिड़ गया था। फौजियों की छुट्टियाँ कैंसल हो गई थी।
चारों ओर से गोलीबारी जारी थी।
लांस नायक अभिजीत बहादुरी से मोर्चा संभाले हुए थे।
अचानक ही मोर्टार से छूटे गोले से उन्होंने वीर जवान का खिताब पा लिया।
मासूम रोहन से, उसके नन्हे पड़ोसी मित्र ने अपने पापा के साथ फुलझड़ी जलाते हुए पूछा… तुम अपने पापा के साथ दीपावली क्यों नहीं मना रहे हो?
वह मासूम शब्दों को कठिनाई से जोड़ते हुए बोला…
माँ ने बताया है कि पापा के दिल के तार दियों की रोशनी से मिल गए हैं। उनके कारण ही हम सबकी दीपावली रोशन है।

●लेखक संपर्क-
●98278 96801

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