लघु कथा, गणित- सुरेश वाहने, कुम्हारी-छत्तीसगढ़
काम करने वाली बाई राधा ने काम निपटाकर पूछा -”अब मैं जाऊँ मालकिन?”
मालकिन ने कहा -”लेट तो हो चुकी हो राधा, तो पाँच मिनट और बैठ जाओ। कुछ जरूरी बातें करनी हैं।”
राधा को लगा कि दीपावली के बोनस और पेमेंट बढ़ोतरी के विषय में मालकिन कुछ कहेंगी। इसलिए खुश होते हुए बैठ गई।
मालकिन ने कहना शुरू किया -”इस बार कोरोना काल में सभी परेशान हैं। लाकडाउन में तुम काम पर नहीं आई थी। पेमेंट तो मिलना नहीं था। मगर हमें चिन्ता थी। इसलिए हमने पाँच किलो आटा, दो किलो दाल, एक किलो चीनी तुम्हें दान में दे दिया था। लेकिन अब हमारी हालत खराब है। आवक साठ हजार रूपये महीने मात्र है। इतने में घर चलाना कठिन हो रहा है। इधर पचपन लाख रूपये में एक बंगले का सौदा तय हुआ है। हर महीने वहाँ भी पैसा पटाना पड़ेगा। ऐसे में इस साल तुम्हें बोनस नहीं दे पाएँगे हम और पगार भी नहीं बढ़ा पाएँगे। इसलिए अच्छा होगा कि तुम कहीं और काम खोज लो।”
सुनते ही राधा को जैसे काठ मार गया। बड़ी मुश्किल से उसके बोल फूटे -”लाकडाउन में आपका अहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूल सकती। दस साल से आपके यहाँ काम कर रही हूँ। कुछ ज्यादा पगार के लालच में दूसरी जगह काम करके अहसान-फरामोश नहीं बनना है मुझे। आप बोनस मत दो, पगार भी मत बढ़ाओ। लेकिन मैं यहीं काम करूँगी मालकिन।”
मालकिन को ऐसे उत्तर की उम्मीद नहीं थी। आश्चर्यचकित होकर उसने कहा -”वो सब तो ठीक है। मगर मैं चाह रही थी कि घर का काम मैं खुद करूँ और घर खर्च में पति का हाथ बटाऊँ। वैसे भी तुम कब तक काम कर सकोगी? उम्र पचास पार हो गई है। तुम्हें आज नहीं तो कल आराम तो करना ही पड़ेगा। बहुत काम कर लिया तुमने।”
मालकिन के निहितार्थ को अब राधा समझ गई। दुखी मन से उसने कहा -”जैसी आपकी इच्छा।”
बात बनते देख मालकिन ने झट से कहा -”तो ठीक है। अब तक के हिसाब का ये पेमेंट रखो। मैं कल से ही घर का काम करना शुरू करूँगी।”
राधा गेट से निकलते हुए ऐसा महसूस कर रही थी मानो बहू ने घर से हकाल दिया हो।
दूसरी सुबह धनतेरस का दिन था। मालकिन के घर पाँच सौ रूपये कम पगार पर षोडशी कन्या काम पर उपस्थित हो चुकी थी। शुभ मुहुर्त में मालकिन ने नौलखा हार खरीदा। मालिक ने भी अपने लिए खरीदी एक नई चमचमाती कार। संध्या दीपक जगमगा उठे। मालकिन के गणित से राधा दीये की बत्ती बनकर जल रही थी।
【 ●प्रेस क्लब ऑफ कुम्हारी के कोषाध्यक्ष,’छत्तीसगढ़ आसपास,प्रिंट एवं वेब पोर्टल’ के विशेष संवाददाता सुरेश वाहने प्रगतिशील कवि, लेखक हैं. लेखक संपर्क-70006 31882 】