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लघुकथा, समझौता- महेश राजा

4 years ago
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आफिस के सामने दो कुत्ते लड़ रहे थे।दोनों एक दूसरे पर झपटते तो लगता जैसे अपने प्रतिद्वंद्वी को नोच खायेंगे।

एक सज्जन यह तमाशा देख रहे थे।अचानक उन्हें कुछ याद आया।उन्होंने अपनी बेग से पारले जी का एक पैकेट निकाला और कुत्तों के सामने फेंक दिया।

दोनों कुत्ते पैकेट पर झपटे।लडाई बंद कर वे एक साथ बिस्किट खाने लगे।

सज्जन ने पास खडे एक आदमी से कहा,”देखा आपने?दोनों थोडी देर पहले किस तरह लड रहे थे लेकिन बिस्किट मिलने पर लडाई छोडकर आपसी समझौता कर बैठे।”

सज्जन के पास खडे आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा,”दोनो एक ही डिपार्टमेंट से है….ऐसे मौको पर वे समझौता कर ही लेते है।डिपार्टमेंटल आदत से लाचार जो है।”


【 छत्तीसगढ़ के महासमुंद से महेश राजा का नाम ‘लघुकथा’ के रूप में बड़ा नाम है. प्रदेश-देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में उनकी लघुकथा प्रकाशित होते रहती है. ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में भी उनकी लघुकथा नियमित प्रकाशित हो रही है. आज़ वेब पोर्टल में लघुकथा ‘समझौता’ प्रकाशित हो रही है,कैसी लगी, अवश्य लिखें.
-संपादक
लेखक संपर्क-
94252 01544

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