चर्चित उपन्यासत्रयी उर्मिला शुक्ल ने रचा इतिहास…
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बिन ड्योढ़ी का घर, बिन ड्योढ़ी का घर – भाग दो, बिन ड्योढ़ी का घर – भाग तीन लिखकर उर्मिला शुक्ल ने उपन्यास जगत में एक नया इतिहास रचा है.
▪️ उर्मिला शुक्ल
कविता, कहानी, समीक्षा और यात्रा संस्मरण की रचयिता उर्मिला शुक्ल हिंदी कथा साहित्य में अपनी एक अलग पहचान रखती हैं। 2020 में प्रकाशित छत्तीसगढ़ के समाज और संस्कृति को चित्रित करता इनका उपन्यास बिन ड्योढ़ी का घर बहु चर्चित उपन्यास है. हंस, पाखी, आर्य कल्प लमही जैसी पत्रिकाओं और मेरा रंग, अटूट बंधन, कस्तूरी जैसे ऑन लाइन मंचों ने इसे पाठकों तक पहुँचाया.समीक्षकों पाठकों और समीक्षकों ने इस उपन्यास को इतना अधिक पसंद किया कि लेखिका उर्मिला शुक्ल से इसका दूसरा भाग लिखने का आग्रह किया. पाठकों और समीक्षकों के आग्रह और प्रेरणा से इन्होने बिन ड्योढ़ी का घर – भाग दो की रचना की. इस तरह उपन्यास साहित्य में उर्मिला शुक्ल अज्ञेय के (शेखर एक जीवनी, शेखर एक जीवनी भाग दो ) समकक्ष जा पहुँची. अज्ञेय के बाद बाद हिंदी उपन्यास जगत को दो भागों में लिखा उपन्यास देने वाली ये पहली लेखिका हैं. अपने इन उपन्यासों में इन्होने बस्तर की समस्याओं का सिर्फ चित्रण हीं नहीं किया , उसका उचित समाधान भी दिया है.
बिन ड्योढ़ी का घर भाग – दो ने महिला लेखन में भी एक नया इतिहास बनाया. इस उपन्यास से पहले किसी महिला द्वारा इस तरह दो भागों में उपन्यास नहीं लिखा गया था.
बिन ड्योढ़ी का घर – भाग दो कों भी पाठकों और समीक्षकों ने इस कदर पसंद किया कि इसका तीसरा भाग लिखने की माँग की.पाठकों की माँग और प्रेरणा से बिन ड्योढ़ी का घर – भाग तीन प्रकाशित हुआ और हिंदी उपन्यास जगत में उपन्यास त्रयी का सूत्रपात हुआ.
उपन्यास त्रयी पाश्चात्य साहित्य में तो लिखी गयी हैं लेकिन हीं हिंदी उपन्यास जगत में बिन ड्योढ़ी का घर से पहले कोई उपन्यास त्रयी नहीं है.
कहा जाता है कि अज्ञेय की शेखर एक जीवनी का तीसरा भाग लिखा जा रहा था फिर जाने क्या हुआ. शायद नहीं लिखा जा सका. शायद इसलिए कि बिन ड्योढ़ी का घर – भाग तीन रचा जाना था.
बस्तर के समाज और संस्कृति को आधार बनाकर लिखी गयी यह कृति बस्तर कों उसकी समग्रता से रचती है. इसमें एक ओर नक्सली त्रासदी है, तो ऐसी कोशिश भी है जिससे युवक बंदूक की राह छोड़ कर निर्माण की राह पर आगे बढ़े.
इन उपन्यासों में उजड़ते घोटुल को फिर से बसा देने की कोशिश है और कोशिश है बस्तर को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने की. और भी बहुत कुछ है जो पाठकों को इसे पढ़ने को प्रेरित करेगा.
उर्मिला शुक्ल का कहानी संग्रह मैं फूलमती और हिजड़े भी बहु चर्चित संग्रह रहा है. पहला इस तरह यह संग्रह भी पाठकों के द्वारा बहुत सराहा गया।
इन्होने यात्रा संस्मरण लेखन में भी नया प्रतिमान रचा है.इनका इनका यात्रा संस्मरण ‘ यात्राएं उस धरा की जो धरोहर हैं हमारी ‘ हिंदी साहित्य के प्रमुख सहितकारों के जन्म स्थानों पर लिखा गया संस्मरण अपने आप में एक एक अनूठा संस्मरण संग्रह है।
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