लघुकथा, लेखक मित्र औऱ शाही भरवां- महेश राजा
4 years ago
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बहुतदिनो बाद पोस्ट आफिस में एक लेखक मित्र से मुलाकात हो गई।ढाई सौ रूपये का मनी आर्डर लेकर वे बाहर निकल रहे थे।मुझे देखकर मुस्कुराये, बोले.,ढाई सौ का पेमेंट मिला अब तो रोज कुछ न कुछ मिलेगा।”
मैंने कहा-“व्यंग्य के लिये इतना पेमेंट ठीक ही है।*
वह बोले,-“मारो गोली व्यंग्य को…मैंने भरवां बैंगन की व्यंजन विधि महिला पत्रिका में भेजी थी…।उसी का मानदेय है।अब मैं भरवां भिंडी,भरवां परवल और भरवां आलू की विधियां लिखूंगा…. अपने यहां व्यंजन साहित्य की बडी मांग है और इसमे स्कोप भी बहुत है।भरवां बैंगन मे काजू किसमिस और बादाम डाल दो तो यह शाही भरवां बैंगन हो जायेगा,यानी कि इसी बैंगन से ढाई सौ रूपये और बन जायेंगे।*
इसके बाद वे सब्जी मार्केट की ओर प्रसन्न मुद्रा में मुड़ गये।
●लेखक संपर्क-
●94242 01544