लघुकथा, नमस्कार की महिमा- महेश राजा
4 years ago
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वे बडी प्रसन्न मुद्रा में घर पहुंचे।सब्जी का थैला पत्नी को पकडाते हुए बोले,-“भागवान।तुमने तो मेरी कभी कद्र ही न की।देख लो।आज जैसे ही घर से मुहल्ले की ओर निकले ,दसियों लोगो ने झुक कर नमस्कार किया।अब लोग मुझे पहचानने लगे है।”
पत्नी जी ने पानी का गिलास उन्हें थमाते हुए कहा,-“समाचार पत्र नहीं पढ रहे हो लगता है।अरे भ ई नगर में चुनाव हो रहे है।सभी विनम्र गये है .ये सब किसी न किसी पार्टी के समर्थक है।अभी तो देखना नमस्कार की तादाद और बढेगी।पर फिर जैसे ही चुनाव खत्म होंगे।परिणाम आ जायेंगे।तब ईन्हें ढूंढते फिरोगे पर ये न मिलेंगे।हमेंशा से ऐसा ही होता आया है।
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