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लघुकथा, सांपों के होते हुए- महेश राजा

4 years ago
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बारिश हो रही थी।तालाब में पानी भरने लगा था।शाम होते ही मेढ़कों ने टर्राना शुरु कर दिया था।

मेंढ़की ने अपने मेंढ़क से कहा-,क्यों जी।यदि अपने तालाब में चुनाव होने लगे तो क्या तुम चुनाव लडोगे?

मेंढ़क संयत स्वर मे बोले,-डियर?साँपों के रहते हुए मुझे कौन टिकट देगा?.

【 ●महेश राजा का नाम ‘लघुकथा’ लेखक के रूप में चर्चित है
●देश की तमाम प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी लघुकथा निरंतर प्रकाशित होते रहती है
●’छत्तीसगढ़ आसपास’ में उनकी लघुकथा, हमारे वीवर्स के लिए हम समय-समय पर प्रकाशित करते हैं, आप अपनी राय से अवगत कराएं,खुशी होगी -संपादक
■लेखक संपर्क-
■94252 01544 】

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