कहानी
●नज़रिया
●डॉ. सोनाली चक्रवर्ती
-“अरे मैं समझ रही हूं पर क्या करूं तेरे जीजा जी की यही जिद थी। तुम तो बस टिकट बुक करवाओ और पैकिंग शुरू करो”
रमाजी कंधे और कान के बीच मोबाइल दबाकर एक हाथ से साड़ियां घड़ी करती हुई अपनी बहन से कह रही थी। उधर से बहन की रूठी आवाज आ रही थी -“दीदी ऐसी भी क्या ज़िद कि लड़के- लड़की दोनों की शादी एक हफ्ते के अंतराल में ही करनी है?”
रमाजी हंसते हुए बोली-” अरी तू तो जानती ही है कि अपनी लाड़ली बिटिया के बगैर इनका एक पल नहीं बीतता। कहने लगे पहले घर में बहू लाऊंगा तब अपनी लाड़ली की शादी करूंगा वरना घर का सूनापन मुझे खा जाएगा।मैंने भी सोचा बिटिया की तो बात पक्की थी ही बस कोरोना काल के कारण तिथि अटकी हुई थी। इसी बीच बेटे ने भी लड़की पसंद कर ली तो सोचा क्यों ना एक साथ ही शुभकार्य संपन्न कर दिया जाए ।
उधर से फिर बहन की खनकती हुई आवाज आई -“चलो अच्छा ही है दीदी दस-बारह दिनों तक घर के कामों से तो छुट्टी मिलेगी।
मैं आ रही हूं रंग जमाने” रमा जी ने हंसते हुए फोन रखा और उसी मूड में ड्रॉइंग रूम पहुंची।
वहां यथारीति पतिदेव टीवी के सामने कालीन पर डटे हुए थे और उनकी लाडली बिटिया सोफे पर बैठ कर उनके सर की चंपी कर रही थी। वहीं दिवान पर अधलेटा बेटा लैपटॉप पर काम कर रहा था।
बेटी लड़ियाती हुई कह रही थी -“बस पापा…अब मुझे बच्चों के प्रोजेक्ट देखने हैं सबकी पीडीएफ आ गए होंगे”।
पापा जी चंपी का आनंद लेते हुए बोले -“अरे तो देख लेना अभी तो समय है परीक्षा के लिए”
बिटिया ने कहा-
“बस इसी सत्र की परीक्षा तो निपटानी है पापा। फिर तो चैन ही चैन।
मैंने तो प्रिंसिपल सर को अपना रेज़िगनेशन लेटर दे भी दिया है उन्होंने कहा इस सत्र का काम हो जाने….”
कहते हुए बेतरह शर्मा गई और दोनों हथेलियों में मुंह छुपा लिया। पापा ने स्नेह विगलित नजरों से उसकी ओर देखते हुए कहा-” अरे मेरी परी रानी तेरे प्रोजेक्ट सारे मैं चेक कर देता हूं। वर्क फ्रॉम होम ही तो है मैं भी आधा दिन खाली रहता हूं।”
बिटिया ने इठलाते हुए
“थैंक्यू पापा” कहकर पापा के गले में बाहें डाल दी।
भाई ने उसके सर पर चपत लगाते हुए कहा-“पापा
इसके जाने के बाद आपकी पसंदीदा चाय कौन बनाने वाला है मैं भी देखता हूं मम्मी तो चाय पीती भी नहीं इस झमेले में पड़ती भी नहीं” पापा गर्वित स्वर में बोले-” अरे तो तब तक हमारी बहू आ जाएगी ना इसीलिए तो हम पहले घर में बहू ला रहे… उसके बाद ही बेटी को विदा करेंगे”
बेटा अपने लैपटॉप में डूबता हुआ बोला
– “उसी से करवाना मुझसे तो उम्मीद मत ही रखना”
तब तक बिटिया रानी की आंखों में आंसू भर आए थे-” पापा मैं आपको बहुत मिस करने वाली हूं आप तो मेरे उठने से पहले शॉल मफलर तक मेरे तकिए के पास रख देते हैं। पलंग के नीचे हमेशा चप्पले मिल जाती है। संडे स्पेशल नाश्ता तो आप ही बनाते हैं ।पता नहीं उस घर में जाकर मेरा क्या होने वाला है?”
पापा फिर उसी स्वर में बोले -“अरे तेरे सपनों का राजकुमार क्या करेगा? हमारी बिटिया को रानी बनाकर रखने का वादा जो किया है उसने। तू फिकर मत कर ”
घर की डस्टिंग करती हुई रमा जी अब तक निर्विकार भाव से पूरे वार्तालाप की मूक श्रोता बनी हुई थी।
अब तठस्थ ना रहते हुए बेटे के पास जाकर बोली-“बेटा एक बात सुनो”
बेटे ने चौंककर उनकी तरफ देखा और उनकी आवाज की गहराई से समझ गया कि बात कुछ गंभीर अवश्य है। उसके लैपटॉप का पट बंद करते ही उन्होंने कहना शुरू किया-” देखो बेटा हमने तेरी शादी तेरी पसंद की हुई लड़की के साथ पक्की कर दी और इस लड़की से तेरा परिचय उस वक्त हुआ जब यह लड़की तुम्हारे साथ ही इंजीनियरिंग पढ़ती थी। मतलब जैसे हमने तेरी परवरिश की इस लड़की के माता-पिता ने भी उसकी परवरिश उतने ही प्यार,दुलार,शिक्षा और संस्कार के साथ की है तभी तो तेरे साथ उसकी मानसिकता मिली और तू उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने तैयार हो गया।
तो बेटा जैसे हम तेरी बहन को यहां पान के पत्ते सा फेरते हैं उस प्रकार उस लड़की को भी उसके माता-पिता ने उतने ही प्यार से पाला है। उस लड़की को पढ़ाई और नौकरी की मोहलत देने के लिए उसके मां ने भी उससे घर का काम नहीं करवाया होगा। वह कोई मशीन या जादूगरनी तो है नहीं कि वह शादी के अगले दिन से तुम्हारे पूरे परिवार की पसंद जानकर उसकी सेवा में लग जाए।
यह तो हम सब का फर्ज है कि उसकी मानसिकता को समझकर उसे इतना प्यार
दें कि वह हमको अपना मान लें।
बेटा जिम्मेदारी दी नहीं जाती बल्कि ली जाती है ।
जब हम किसी से प्यार करते हैं उसकी इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करते हैं।”
यह कहकर रमा जी वहां से उठीं और बिटिया के पास आकर उसके चेहरे को दोनों हाथों से भर के बोली-“और तू सुन लाड़ो तेरे सपनों का राजकुमार अपनी मां का दुलारा भी है ,ऊपर से इकलौता।उसे उसकी मां ने जरूर कोई ऐसा प्रशिक्षण तो नहीं दिया होगा कि वह सुबह उठकर तेरी पसंद का नाश्ता बना सके और तेरी हर उलटी सीधी इच्छा पूरी करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो। उच्च शिक्षा प्राप्त कर वह ऐसे ऊंचे पद पर नौकरी करता है कि जिसके बल पर तू अपनी नौकरी छोड़ने का सोच रही है और उसके बाद चैन से रहने की योजनाएं बना रही है। लड़के के चाल चलन से लेकर स्वभाव चरित्र तक हर चीज का पता लगाने के बाद हमने यहां तेरा विवाह संबंध स्थिर किया है।वे लोग निश्चित रूप से तेरी हर एक भावना का सम्मान करेंगे लेकिन पहले ही दिन से अपने पापा जैसी देखभाल की इच्छा करना उन पर ज्यादती है ।तूने लड़के की जिम्मेदारियां तो सोची खुद के कर्तव्यों के बारे में एक बार भी नहीं सोचा।
मेरे प्यारे बच्चों तुम दोनों ही अपनी जीवन की नई शुरुआत करने वाले हो अपने जीवन साथियों को भी महसूस करने दो कि उनकी पसंद सही…….”
कहते हुए उनका गला अवरुद्ध हो गया।
दोनों बच्चे रमा जी के गले से लिपटे हुए थे और उनकी पीठ सहलाते हुए उनके चेहरे पर स्नेह मिश्रित मुस्कान थी।
【. ●डॉ. सोनाली चक्रवर्ती छत्तीसगढ़ के लिए गौरव हैं ●स्वयसिद्दा, ए मिशन की डायरेक्टर हैं ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ संपादक मंडल की सदस्य के साथ-साथ अच्छी लेखिका हैं ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ में उनकी कविता/कहानी नियमित प्रकाशित हो रही है ●’छत्तीसगढ़ आसपास’ के पाठकों/वीवर्स के लिए उनकी नवीनतम कहानी,’नज़रिया’प्रस्तुत है ●कहानी पर अपनी राय से अवगत करायें, ख़ुशी होगी,-संपादक
●लेखिका संपर्क-
●98261 30569 】